Sunday, December 15, 2024
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International Currency क्या है, भारतीय रुपया भी बन सकता हैं अंतरराष्ट्रीय मुद्रा?

International Currency: अगर आप किसी देश में घूमने जाते हैं, तो आपको उस देश की लोकल करंसी खोजने में मुश्किल होगी। उस देश में अपनी लोकल मुद्रा के अलावा भी एक मुद्रा जिसे डॉलर मान सकते हैं जो कि हर जगह स्वीकार किया जाता है। चाहे आप होटल में ठहरने का पेमेंट कर रहे हों या किसी रेस्तरां में खाना खा रहें हों या फिर गाइड को पर्यटन दिखाने के पैसे दे रहे हों, हर जगह डॉलर ही चलता है। इस तरह डॉलर की स्वीकार्यता कई अलग अलग देशों में है और इस तरह से डॉलर एक अंतरराष्ट्रीय मुद्रा का नमूना हो सकता है।

अब रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) भी भारतीय रुपये को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा बनाने की तैयारी कर रहा है यानी अगर कोई देश चाहे तो इसे अपने देश की करंसी की तरह ही रुपया का इस्तेमाल भी कर सकता है।

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा (International Currency) क्या होती है?

इंटरनेशनल करन्सी वह होती है जिसका इस्तेमाल जारीकर्ता देश की सीमाओं के बाहर भी किया जाता है। अगर कोई अपनी घरेलू करंसी के मुक़ाबले किसी अन्य देश की मुद्रा का इस्तेमाल लेन-देन और वित्तीय संपत्तियों की खरीद के लिए करता है, तो वह अंतरराष्ट्रीय मुद्रा है। इसके लिए ज़रूरी है कि इंटरनैशनल करंसी का इस्तेमाल करने वाले देश में आने वाले बाहरी पर्यटक/लोग भी उसी मुद्रा का उपयोग करें।

भारतीय रुपया का अंतर्राष्ट्रीयकरण

अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। इसलिए उसकी करंसी डॉलर दुनिया की प्रमुख अंतरराष्ट्रीय मुद्राओं में से एक है। हालांकि, यह इकलौती इंटरनेशनल करंसी नहीं। चीन का युआन भी काफी महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय मुद्रा है, जिसे कई देशों ने अपनाया है। RBI भी रुपये का अंतर्राष्ट्रीयकरण करते समय इन दोनों करंसी से काफी कुछ सीखने की योजना बना रहा है। रिजर्व बैंक ने रुपये को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा बनने की संभावनाओं के बारे में पता लगाने के लिए एक इंटर-डिपार्टमेंटल ग्रुप (IDG) बनाया था। इसने पिछले साल अक्टूबर में अपनी रिपोर्ट सौंपी थी, जिसे अब RBI की साइट पर प्रकाशित कर दिया गया है।

क्या कहती है RBI की IDG की रिपोर्ट?

इंटर-डिपार्टमेंटल ग्रुप के अनुसार रुपये में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा बनने की क्षमता है। ख़ासकर, यह देखते हुए कि भारत काफी बड़ी और मजबूत अर्थव्यवस्था का मालिक है। देश की अर्थव्यवस्था लगातार बढ़ रही है। रुपये ने मुश्किल हालात में भी अच्छा प्रदर्शन किया है। भारत ने उन मामलों में भी काफी तरक्की की है, जो किसी भी देश की करंसी को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा बनाने के लिए ज़रूरी होती हैं। आईडीजी के मुताबिक, लंबी अवधि में अन्य देशों के साथ भारत के व्यापारिक संबंध भी और आने वाले समय में ज़्यादा बेहतर ही होंगे। ऐसे में रुपया आसानी से उस स्तर तक पहुंच सकता है, जहां इसका इस्तेमाल अंतरराष्ट्रीय मुद्रा के रूप में संभव है।

आईडीजी ने सिफारिश की है कि रुपये को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के स्पेशल ड्राइंग राइट्स (SDR) बास्केट में शामिल किया जाना चाहिए।

SDR बास्केट क्या है?

एसडीआर (SDR) असल में एक आर्टिफिशल करंसी इंस्ट्रूमेंट है। इसे अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने आंतरिक गणनाओं के लिए बनाया है। इसकी वैल्यू की गणना डॉलर, यूरो, युआन और पाउंड जैसी प्रमुख करंसियों के वेटेज बास्केट के आधार पर की जाती है। IMF के सदस्य देश इसका इस्तेमाल अन्य मुद्राओं के विनियम और कर्ज़ चुकाने जैसी चीज़ों के लिए कर सकते हैं।

किसी मुद्रा को SDR बास्केट में शामिल होने के लिए इन 2 शर्तों को पूरा करना जरूरी है:

  1. उस मुद्रा को जारी करने वाला देश आईएमएफ (IMF) का सदस्य होने के साथ ही दुनिया के शीर्ष पांच निर्यातकों में से एक होना चाहिए।
  2. अंतरराष्ट्रीय लेनदेन के भुगतान में उसकी करंसी का व्यापक इस्तेमाल हो रहा हो और बड़े एक्सचेंज मार्केट में उससे कारोबार हो रहा हो।

RBI रुपये को SDR करंसी बास्केट में शामिल क्यों करना चाहता है?

वैसे तो रुपये को SDR का हिस्सा बनाने की कोई ख़ास वजह नहीं है, क्योंकि इसे अक्सर प्रतीकात्मक ही माना जाता है। लेकिन, यह जाहिर तौर पर किसी देश के आर्थिक रुतबे का प्रतीक होता है। अगर रुपया SDR बास्केट में शामिल होता है, तो यह एक महत्वपूर्ण वैश्विक अर्थव्यवस्था और निर्यातक के रूप में भारत की रुतबे का अहसास कराएगा।

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा (International Currency) बनने के फायदे?

अगर रुपया अंतरराष्ट्रीय मुद्रा बनता है, तो इसके कई फायदे होंगे। सबसे बड़ी बात कि विदेशी मुद्राओं, ख़ासकर डॉलर पर हमारी निर्भरता कम हो जाएगी। भारत के रिजर्व में भी विदेशी मुद्राओं की विविधता बढ़ेगी। रुपये के अंतर्राष्ट्रीयकरण से इंटरनेशनल ट्रांजेक्शन की लागत कम होगी। अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा मिलेगा। अभी ग्लोबल करंसी मार्केट में रुपये की हिस्सेदारी सिर्फ दो फ़ीसदी है जो की बढ़ेगा।

रुपये के मामले में RBI का रोडमैप?

रिजर्व बैंक ने रुपये को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा बनाने से जुड़े कुछ अहम पहलुओं का रुख किया है। इनमें कैपिटल अकाउंट Convertibility, लिक्विडिटी और क्रॉस बॉर्डर पेमेंट इंफ्रास्ट्रक्चर जैसी चीज़ें शामिल हैं।

अगर कैपिटल अकाउंट Convertibility की बात करें, तो यह एक अहम मामला है। इसका मतलब है कि किसी देश के पास लोकल फाइनैंशल एसेट को बाज़ार निर्धारित एक्सचेंज रेट पर फॉरेन फाइनैंशल एसेट में बदलने की क्षमता है या नहीं। RBI की IDG की रिपोर्ट का मानना है कि यह किसी मुद्रा के अंतरराष्ट्रीय होने की कोई ऐसी शर्त नहीं है, जिसे पहले पूरा करना ज़रूरी है। इसके बिना भी करंसी को इंटरनेशनल बनाया जा सकता है।

लिक्विडिटी और क्रॉस-बॉर्डर पेमेंट इंफ्रास्ट्रक्चर भी भारत के लिए कोई बड़ा मामला नहीं। रुपये को अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा बनाने के लिए सरकार और केंद्रीय बैंक, दोनों स्तरों पर पर्याप्त सामंजस्य होना चाहिए। IDG का मानना है कि इसे आसानी से संभाला जा सकता है। क्रॉस-बॉर्डर पेमेंट इंफ्रास्ट्रक्चर तो भारत का पहले से काफी मजबूत है। भारत के पास रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट (RTGS), नैशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर (NEFT) और यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) हैं, जो पहले ही ग्लोबल लेवल पर अपनी पहचान कायम कर चुके हैं।

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Arvind Maurya
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