PPF बनाम SIP को ध्यान में रखते हुए अगर बेहतर इन्वेस्टमेंट स्कीम की बात की जाए तो पीपीएफ (PPF) ज्यादा बेहतर हो सकता है। एसआईपी (SIP) भी एक सुरक्षित निवेश का तरीका है लेकिन पीपीएफ कई मायनों में बेहतर हो सकता है जब तक आप सालाना सिर्फ 1.5 लाख रुपए ही निवेश कर सकते हैं। वैसे बाजार में उपलब्ध सुरक्षित विकल्पों की बात करें तो इसमें पीपीएफ एसआईपी और एनपीएस बेहतर विकल्प हो सकते हैं मगर आज हम यहां पर सिर्फ PPF vs SIP के इर्द गिर्द ही बात करेंगे।
PPF (पब्लिक प्रोविडेंट फंड)
PPF (पब्लिक प्रोविडेंट फंड) एक सरकारी बचत योजना है। PPF के रिटर्न निश्चित होते हैं लेकिन सरकार द्वारा प्रत्येक तिमाही इसकी ब्याज दर निर्धारित की जाती है। PPF अकाउंट डाकघर या किसी भी बैंक में खोला जा सकता है। वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए PPF की ब्याज दर 7.1% (चक्रवृद्धि ब्याज दर) निर्धारित है।
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PPF खाते में 500 से लेकर 1.5 लाख रुपए प्रति वर्ष निवेश किया जा सकता है। PPF निवेश की लॉक-इन अवधि 15 साल होती है हालांकि 15 साल के बाद 5-5 साल के अंतराल के बढ़ाया जा सकता है। PPF निवेश योजना सरकार द्वारा समर्थित होने के कारण यह पूरी तरह से सुरक्षित है। पीपीएफ निवेश पर टैक्स छूट भी मिलती है हालांकि जब इसे एनुअल रिटर्न में दिखाया जाए। पीपीएफ की मैच्योरिटी पर भी कोई टैक्स नहीं लगता।
SIP (सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान)
SIP (सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) म्यूचुअल फण्ड में निवेश करने का एक तरीका है। आप SIP के माध्यम से हर महीने एक निश्चित राशि म्युचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं। यह एक निश्चित निवेश में आपको बाजार में आए उतार-चढ़ाव से बचाता है अगर बाजार में मंदी है तो आप ज्यादा म्यूचुअल फण्ड यूनिट खरीद कर बाजार में तेजी आने पर उन्हें बेच सकते हैं।
म्यूचुअल फण्ड पूरी तरह से बाजार से जुड़ा होता है जो जोखिम भरा भी हो सकता है। म्यूचुअल फण्ड में ₹500 प्रति माह से अधिकतम कितने भी पैसे लगाए जा सकते हैं। मुचल फंड में कोई लॉक-इन पीरियड नहीं होता जिससे निवेश को किसी भी समय रिडीम यानी बेचा जा सकता है। म्यूचुअल फण्ड निवेश की अवधि 6 महीने से 20 वर्ष तक हो सकती है। म्यूचुअल फण्ड के रिटर्न पर टैक्स लगता है हालांकि कुछ म्यूचुअल फण्ड स्कीम टैक्स दायरे से बाहर भी होती हैं तो कुल मिलकर म्यूचुअल फण्ड के प्रकार पर निर्भर करता है कि उस पर टैक्स लगेगा या नहीं।
PPF बनाम SIP: एक तुलना
सुरक्षा की दृष्टि से
चूंकि पीपीएफ सरकार द्वारा अनुमोदित बचत विकल्प है और पीपीएफ में जमा धन का उपयोग सरकार द्वारा किया जाता है। इस पर ब्याज का भुगतान भी सरकार द्वारा ही किया जाता है इसलिए इसमें फ्रॉड की संभावना लगभग शून्य है।
वहीं दूसरी ओर म्यूचुअल फण्ड में पैसा बाजार में जोखिमों के अधीन होता है। फंड द्वारा रखे गए शेयरों की कीमतों में बदलाव के कारण इक्विटी फंड का मूल्य लगभग हर दिन बदलता रहता है, बांड की कीमतों में बदलाव के कारण डेबिट फंड का मूल्य भी ऊपर-नीचे होता रहता है।
रिटर्न के आधार पर
पीपीएफ पर रिटर्न लाभ सरकार द्वारा निर्धारित और गारंटीड होता है। इसकी ब्याज दरें हर तिमाही निर्धारित की जाती है, दरों में लगभग 7-8 फ़ीसदी प्रतिवर्ष की दर में उतार-चढ़ाव चलता रहता है।
वहीं दूसरी ओर म्यूचुअल फण्ड के रिटर्न बाजार से जुड़े होते हैं। यह बाजार की परिस्थितियों और फंड मैनेजर के प्रदर्शन के अनुसार बदलते रहते हैं।
लिक्विडिटी के आधार पर
पीपीएफ जमा की लॉक-इन अवधि 15 वर्ष होती है जबकि म्यूचुअल फण्ड (open-ended) में आपके निवेश को किसी भी दिन बेचा जा सकता है। आवश्यकता अनुसार अपने फंड को रिडीम करने की सुविधा में पीपीएफ जमा की तुलना में म्यूचुअल फंड अधिक बेहतर है।
हालांकि पीपीएफ के मामले में आप खाता खोलने के तीसरे से छठे वर्ष तक अपने पीपीएफ में जमा के आधार पर लोन ले सकते हैं खाता खोलने के 5 वर्ष पूरे होने की अवधि के बाद पीपीएफ से कुछ पैसा निकाला जा सकता है।
पीपीएफ की तरह आप जरूरतों को पूरा करने के लिए अपने म्यूचुअल फण्ड होल्डिंग्स पर भी लोन ले सकते हैं हालांकि इस पर लगने वाला प्रोसेसिंग फी और व्याज महंगा हो सकता है।
म्यूचुअल फण्ड में निवेश करने के कुछ समय बाद ही उन्हें रिडीम यानी बेचने पर मुचल फंड कंपनियां जुर्माना लगाती है जिसे एग्जिट लोन कहा जाता है। कुछ क्लोज एंडेड फंड भी होते हैं जिनकी समय सीमा 3 से 4 वर्ष होती है आप अवधि समाप्ति होने से पहले इन फंड में से अपने निवेश को रिडीम यानि बेच नहीं कर सकते।
टैक्स लाभ के आधार पर
आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80-C के तहत पीपीएफ खाते में निवेश के आधार पर प्रतिवर्ष डेढ़ लाख रुपए तक की टैक्स छूट मिल सकती है, पीपीएफ पर मिल रहा है ब्याज भी टैक्स मुक्त होता है लेकिन वह वार्षिक आयकर रिटर्न में दिखाया जाना चाहिए। पीपीएफ की मैच्योर अमाउंट भी टैक्स मुक्त ही होती है।
जबकि म्यूचुअल फण्ड के रिटर्न पर म्यूचुअल फण्ड के प्रकार और इसकी निवेश अवध के अनुसार उस पर टैक्स लगाया जाता है। हालांकि म्यूचुअल फण्ड की कुछ विशेष श्रेणी में निवेश करने पर आपको 80-C के तहत डेढ़ लाख रुपए तक की टैक्स छूट मिलती है।
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(Disclaimer: राष्ट्र-बंधु किसी भी तरह के निवेश के लिए प्रेरित नहीं करता। खास तौर पर उन निवेशों के लिए जो बाजार और जोखिम से जुड़े होते हैं किसी भी निवेश स्कीम में निवेश करने से पहले की योजना नियम शर्तों को ठीक से जरूर पढ़ें।)
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