Tuesday, December 10, 2024
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 51 वसुधैव कुटुम्बकम की भावना से परिपूर्ण है

– डा. जगदीश गांधी, शिक्षाविद् एवं संस्थापक-प्रबन्धक, सिटी मोन्टेसरी स्कूल, लखनऊ

भारतीय संविधान निर्माता डा. आंबेडकर ने हमें विश्व का सबसे अनूठा संविधान दिया है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51 अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा की अभिवृद्धि राज्य करेगा के अन्तर्गत कहा गया है कि (क) अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा की अभिवृद्धि का, (ख) राष्ट्रों के बीच न्यायसंगत और सम्मानपूर्ण संबंधों को बनाए रखने का, (ग) संगठित लोगों के एक-दूसरे से व्यवहारों में अंतरराष्ट्रीय विधि और संधि-बाध्यताओं के प्रति आदर बढ़ाने का, और (घ) अंतरराष्ट्रीय विवादों के माध्यस्थम् द्वारा निपटारे के लिए प्रोत्साहन देने का, प्रयास करेगा।

CMS विश्व एकता व विश्व शान्ति हेतु लगातार प्रयासरत

भावी पीढ़ी के हित में CMS अपनी स्थापना के समय से ही विश्व एकता व विश्व शान्ति हेतु लगातार प्रयासरत है। सी.एम.एस. द्वारा विगत 23 वर्षों से लगातार भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51 पर आधारित अन्तर्राष्ट्रीय मुख्य न्यायाधीश सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें अब तक अनेक देशों के 1361 मुख्य न्यायाधीश, न्यायाधीश तथा शासनाध्यक्ष प्रतिभाग कर चुके हैं। विश्व की न्यायिक बिरादरी ने सी.एम.एस. के विश्व एकता, विश्व शान्ति व विश्व के ढाई अरब बच्चों के सुरक्षित भविष्य की मुहिम को भारी समर्थन दिया है।

हमने विश्व के सभी देशों के प्रमुख नेताओं से पुरजोर अपील की है कि विश्व के ढाई अरब बच्चों एवं आने वाली पीढ़ियों के सुरक्षित भविष्य हेतु विश्व एकता व विश्व शान्ति की स्थापना के प्रयासों में तेजी लायें। साथ ही हमने विश्व के सभी देशों के प्रमुख नेताओं को पत्र लिखकर वैश्विक समस्याओं के समाधान हेतु विश्व संसद के गठन की जोरदार अपील की है।

रूस-यूक्रेन युद्ध से तृतीय विश्व युद्ध का खतरा

रूस-यूक्रेन युद्ध से तृतीय विश्व युद्ध का खतरा निरन्तर बढ़ता ही जा रहा है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय जैसी वैश्विक संस्थाएं इस युद्ध को रोक पाने में सफल नहीं हो सकीं, साथ ही  वैश्विक संस्थायें जैसे अशिक्षा, गरीबी, बुनियादी स्वास्थ्य, जलवायु परिवर्तन आदि का समाधान प्रस्तुत करने में सफल नहीं हो पा रही हैं। ऐसी स्थिति में, अब विश्व संसद का गठन और प्रभावशाली अन्तर्राष्ट्रीय कानून व्यवस्था ही भावी पीढ़ी को सुरक्षित व शान्तिपूर्ण वातावरण उपलब्ध करा सकती है।

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मैने सी.एम.एस. के 58,000 से अधिक छात्रों व विश्व के ढाई अरब बच्चों की ओर से विश्व के सभी नेताओं को पत्र लिखकर अपील की है कि भावी पीढ़ी के हित में अविलम्ब एक बैठक बुलाकर विश्व संसद के गठन पर विचार करें और विश्व एकता व विश्व शान्ति का मार्ग प्रशस्त करें। सर्वप्रथम, 1919 में अमेरिकी राष्ट्रपति बुडरो विल्सन ने 42 देशों की मीटिंग बुलाकर लीग ऑफ नेशन्स की स्थापना की। उसके उपरान्त 1945 में अमेरिकी राष्ट्रपति फ्रैंकलिन डी रूजवेल्ट ने 51 देशों की मीटिंग बुलाकर संयुक्त राष्ट्र संघ का गठन किया। इसी कड़ी में यूरोपीय संघ, यूरोपीय पार्लियामेन्ट एवं यूरोपीय करेंसी की अवधारणा भी विकसित हुई।

विश्व एकता व विश्व शान्ति का एकमात्र विकल्प

विश्व की वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए विश्व संसद, विश्व सरकार एवं प्रभावशाली अन्तर्राष्ट्रीय कानून व्यवस्था का गठन अब अनिवार्य आवश्यकता है और यही विश्व एकता व विश्व शान्ति का एकमात्र विकल्प भी है। अमेरिका व भारत जैसे विशाल लोकतान्त्रिक देशों के राष्ट्रप्रमुखों का कर्तव्य है कि वे विश्व मानवता के हित में अविलम्ब सभी प्रभुसत्ता सम्पन्न राष्ट्रों की बैठक बुलाकर एक वैश्विक लोकतंत्र (विश्व संसद) की स्थापना का मार्ग प्रशस्त करें।

सिटी मोन्टेसरी स्कूल विश्व का अकेला ऐसा विद्यालय है जो अपने यहाँ अध्ययनरत लगभग 58,000 छात्रों को सर्वोत्कृष्ट शिक्षा प्रदान करने के साथ ही उन्हें उच्च जीवन मूल्य प्रदान कर मानवता की सेवा करने वाला एक आदर्श विश्व नागरिक बनाता है, साथ ही संसार के ढाई अरब बच्चों की शान्ति सुरक्षा के लिए भी सतत् प्रयासरत है। सी.एम.एस. के इन प्रयासों को पूरी दुनिया में सराहा गया है।

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हमारा 62 वर्षों के शैक्षिक अनुभव के आधार पर पूरा विश्वास है कि गुणात्मक शिक्षा विश्व का सबसे शक्तिशाली हथियार है जिसके द्वारा विश्व को बदला जा सकता है। नई 21वीं सदी की शिक्षा का स्वरूप विगत 20वीं सदी की शिक्षा से अलग होना चाहिए। बच्चों का गुणात्मक शिक्षा के द्वारा विश्वव्यापी दृष्टिकोण विकसित करना इस युग की सबसे बड़ी आवश्यकता है। संसार के प्रत्येक बालक का संकल्प होना चाहिए कि एक दिन दुनिया बदलूँगा धरती स्वर्ग बनाऊँगा, विश्व शान्ति का सपना एक दिन सच कर दिखलाऊँगा। यह सारा विश्व अपना है पराया नहीं।

अन्तर्राष्ट्रीय समस्याओं का हल सभी देशों को मिल-जुलकर निकलना होगा

वैश्विक कोरोना महामारी तथा यूक्रेन रूस के बीच चल रहे युद्ध ने सारी मानव जाति को अहसास कराया है कि अन्तर्राष्ट्रीय समस्याओं का हल विश्व के सभी देशों को आपस में मिल-जुलकर निकलना होगा। विश्व के किसी भी लोकतांत्रिक देश का संचालन कानून तथा संविधान के द्वारा होता है। इसी प्रकार सारे विश्व को लोकतांत्रिक ढंग से चलाने के लिए वैश्विक लोकतांत्रिक व्यवस्था का निर्माण आवश्यक हो गया है। इसके लिए समय रहते हमें संयुक्त राष्ट्र संघ को शक्ति प्रदान करके ‘विश्व संसद का स्वरूप प्रदान करना चाहिए। हमारा विश्वास है कि वसुधैव कुटुम्बकम् के संस्कृति वाला भारत ही विश्व में शान्ति स्थापित करेगा।

21वीं सदी के अनुकूल नई शिक्षा नीति

भारत सरकार ने देश के प्रत्येक बच्चे को देश की वसुधैव कुटुम्बकम् – जय जगत की महान संस्कृति, अनूठे संविधान एवं प्राचीन सभ्यता के साथ ही विश्व स्तरीय ज्ञान देने के लिए देश में ‘नई शिक्षा नीति’ को लागू किया है। भारतीय संस्कृति तथा 21वीं सदी के अनुकूल नई शिक्षा नीति का स्वरूप युगानुकूल, वैज्ञानिक, मानवीय तथा विश्वव्यापी बनाया गया है। जी-20 समिट की अध्यक्षता करने के महत्वपूर्ण दायित्व को निभाते हुए हम नई विश्व व्यवस्था बनाने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। अब वह दिन दूर नहीं है जब सारी वसुधा को कुटुम्ब बनाने का जगत गुरू भारत का महान संकल्प पूरा होगा।

– जय जगत –

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Sanjeev Shukla
Sanjeev Shuklahttps://www.rashtrabandhu.com
He is a senior journalist recognized by the Government of India and has been contributing to the world of journalism for more than 20 years.
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