सेहत। भारत में हर सात मिनट में एक महिला का सर्वाइकल कैंसर से मौत हो जाती है। सर्वाइकल कैंसर से हर साल लगभग 67,477 भारतीय महिलाओं की मौत हो जाती है। दुनिया भर में सर्वाइकल कैंसर के 99.7 प्रतिशत मामलों में एचपीवी पाया गया है। यह संबद्ध रोगजनक का उच्चतम स्तर है। जिसे मानव प्रकार के कैंसर का एक प्रमुख कारण माना जाता है। भारत में 80 प्रतिशत सर्वाइकल कैंसर के लिए एचपीवी प्रकार 16 और 18 जिम्मेदार है और एचपीवी प्रकार 31,33,45,52, 58 शेष 20 प्रतिशत सर्वाइकल कैंसर जिम्मेदार है। सर्वाइकल कैंसर गर्भाशय (यूट्स) के सबसे नीचे के भाग का घातक ट्यूमर होता है ज्यादातर सर्वाइकल कैंसर हयूमन पैपिलोमा वायरस (एचपीवी) के संक्रमण के कारण होता है। एचपीवी मानव पेपिलोमावायरस का संक्षिप्त नाम है।
एचपीवी संचरण यौन गतिविधि और उम्र से प्रभावित होता है। सभी यौन सक्रिय वयस्कों में लगभग 75 प्रतिशत के कम से कम एक एचपीवी प्रकार से संकमित होने की संभावना है। हालाँकि, अधिकांश संक्रमण स्वतः ही ठीक हो जाते है और केवल कुछ ही एचपीवी संक्रमण 1 प्रतिशत कैंसर में बदल जाते है। एचपीवी संक्ररण के लिए वर्तमान में कोई चिकित्सकीय रूप से मान्य प्राकृतिक उपचार नहीं है। सरवाईकल कैंसर दुनिया भर में बढ़ रहा है, लेकिन एचपीवी वैक्सीन प्राप्त करके इसे रोका जा सकता है। इंग्लैंड में शोधकर्ताओं ने पाया है कि किशोरवस्था में सर्वाइकल कैंसर का कारण बनने वाले वायरस के खिलाफ टीका लगाने से बीमारी की दर लगभग 90 प्रतिशत तक कम हो सकती है। एचपीवी 6 और 11 प्रकार से जननांग मस्से हो जाते है। एचपीवी 16 और 18 प्रकार और अन्य सात प्रकार के एचपीवी से कैंसर होते है, जिन्हें टीकाकरण से रोका जा सकता है।
यह टीका उन नौ प्रकार के एचपीवी से संक्रमण को रोकने में बहुत प्रभावी होता है जो एचपीवी से होने वाले कैंसर में से लगभग 90 प्रतिशत कैंसर का कारण होता है। सुरक्षा के लंम्बे समय तक बने रहने की संभावना है। अध्ययनों में, जिन लोगों ने टीका लगवाया है, लगभग वे सभी एचपीवी संक्रमण और बीमारी से सुरक्षित है। इस टीके के सबसे अधिक प्रभावशाली होने के लिए, यह जरूरी है कि लोगों के एचपीवी से सम्पर्क में आने से पहले इन्हे टीका लगा दिया जाए, जिसका मतलब है उनके यौन सम्बन्धों के पूर्व करने की संभावना से पहले ऐसा किया जाए।
एचपीवी टीका दो प्रकार का होता है
- क्वाड्रिवेलेंट वैक्सीन एचपीवी प्रकार 6,11,16 और 18 से लक्षित करता है।
- 9-वैलेंट वैक्सीन एचपीवी प्रकार 6, 11, 16, 18,31,33,45,52 और 58 से लक्षित करता है।
साथ ही लोगों को उनकी उम्र के अनुसार अनुशासित संख्या में सभी टीके लगवा लेने चाहिए। एचपीवी वैक्सीन 9 से 14 वर्ष की आयु की लडकियों के लिए संकेत दिया गया है। टीके की सलाह 26 वर्ष की आयु तक उन लोगों को भी दी जाती है, जिन्हे अभी तक टीका नही मिला है या इंजेक्शन की श्रृंखला पूरी नही की है। 27 से 45 वर्ष की आयु के लोग टीकाकरण के लिए उम्मीदवार हो सकते हैं। यदि आपको लगता है कि आप इस आयु वर्ग में है, तो अपने स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता से बात करे। टीका सभी उम्र के लोगों में एचपीवी से संबंन्धित कैंसर से रक्षा कर सकता है। कुछ व्यक्ति जिनके भविष्य में नए यौन संबन्ध हो सकते हैं और एचपीवी के संम्पर्क में आ सकते है, उन्हें भी टीका लगवाने के बारे में सोचना चाहिए।
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एचपीवी टीका 9 से 14 वर्ष के आयु की लड़कियों को दो-खुराक श्रृंखला में दी जाती है। पहली खुराक: इस समय, दूसरी खुराक: पहली खुराक के 6 से 12 महीने के बाद 15 से 26 वर्ष की आयु के लोगों के साथ-साथ कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों को तीन खुराक श्रृंखला में टीकाकरण दिया जाता है। पहली खुराक: तुरंत ही, दूसरी खुराक: पहली खुराक के 1 से 2 महीने के बाद, तीसरी खुराक: पहली खुराक के 6 महीने बाद एचपीवी टीका का उकृष्ट सुरक्षा रिकार्ड है। पिछले 11 वर्षों में 100 मिलियन से अधिक एचपीवी टीके की खुराक दी जा चुकी है और अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रमाण यह दिखाता है कि बचपन में लगने वाले किसी भी अन्य टीके के प्रतिक्रिया मे कोई वृद्धि नही हुई है। एचपीवी वैक्सीन सुरक्षित है और इसका दुष्प्रभाव नही होता है। टीके से एचपीवी संक्रमण होने का कोई खतरा नही है क्योंकि टीके में जीवित वायरस नही होता है।
डॉ रितु खन्ना
(स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ)
खन्ना मेडिकल सेन्टर, फर्टिलिटी क्लिनिक, सिगरा वाराणसी। Mob: 9648042666, Web: drritukhannaivf.in
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