Sunday, December 15, 2024
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एक दिन में कितनी चाय पीनी चाहिए? जानें चाय पीने के फायदे व नुकसान

चाय दुनियाभर में सबसे ज्यादा पिये जाने वाला पेय पदार्थ है। आपने अक्सर लोगों से कम चाय पीने की बात सुनी होगी, ऐसे में यह जानना जरुरी हो जाता है कि एक दिन में कितनी चाय पीनी चाहिए? चाय पीने वालों के लिए चाय किसी एनर्जी ड्रिंक से कम नहीं है। साथ ही आपको यह जानकर हैरानी होगी कि चाय कई शारीरिक समस्याओं के प्रभाव व उनके लक्षणों को कम करने में मदद कर सकती है। आज हम इसी बात को ध्यान में रखते हुए इस लेख में चाय पीने के फायदे व नुकसान समझाने का प्रयास करेंगे।

एक दिन में कितनी चाय पीनी चाहिए?

एक वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार, 230ml काली चाय में लगभग 30-80mg कैफीन पाया जाता है, और 230ml ग्रीन टी में 35-60mg कैफीन की मात्रा पाई जाती है। एक स्वस्थ व्यक्ति प्रतिदिन अधिकतम 400mg कैफीन का सेवन कर सकता है। इससे ज्यादा कैफीन लेने पर साइड इफ़ेक्ट हो सकते हैं। इसलिए आप जितनी ज्यादा चाय पिएंगे आपके शरीर को उतना ही ज्यादा कैफीन मिलेगा, कैफीन शरीर में ज्यादा ना हो इसलिए एक्सपर्ट 2 से 3 कप चाय पीने की ही सलाह देते हैं। अगर आपकी दिनचर्या में इससे ज्यादा चाय हो रही है तो आपको ग्रीन-टी लेने की सलाह दी जाती है।

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चाय पीने के फायदे

चाय पीने के कई फायदे हो सकते हैं। चाय दुनियाभर में सबसे ज्यादा पीने वाला पेय पदार्थ है। वहीं, सर्दियों के दिनों में चाय किसी औषधि से कम नहीं है। बारिस के मौसम में चाय और पकौड़ी का साथ आखिर किसे नहीं पसंद होगा। चाय का वैज्ञानिक नाम कैमेलिया साइनेंसिस (Camellia Sinensis) है। चाय के औषधीय तत्व कैंसर, हृदय रोग, गठिया और मधुमेह में लाभकारी हो सकते हैं। वहीँ, चाय के अधिक सेवन से कैफीन के नकारात्मक परिणाम भी हो सकते हैं।

हृदय के लिए लाभदायक

अगर ग्रीन टी या ब्लैक टी का सेवन संतुलित मात्रा में किया जाए तो यह हृदय को स्वस्थ रखने में मदद कर सकता है। दरअसल, चाय का सेवन करने वाले लोगों में यह देखा गया है कि उनमे ब्लड प्रेशर, सीरम में लिपिड की मात्रा और डायबिटीज नियंत्रित रहती है। और उनका कोलेस्ट्रॉल भी कम ही रहता है, जिससे शरीर को हृदय रोग होने की संभावना कम हो जाती है।

कैंसर से बचाव में लाभदायक

कैंसर से बचाव में चाय फायदेमंद साबित हो सकती है। दरअसल, चाय में पॉलीफेनॉल्स नमक तत्व पाए जाते हैं, जो ट्यूमर कोशिकाओं को फैलने से रोकते हैं। नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन (NCBI) की रिपोर्ट के अनुसार, ग्रीन टी ग्लूटाथियोन एस-ट्रांसफरेज और क्विनोन रिडक्टेस जैसे डिटॉक्सिफिकेशन एंजाइम को सक्रिय करने का काम कर सकती है, जो ट्यूमर को बढ़ने से रोकने में सहायक है। इसके अलावा, ग्रीन टी और ब्लैक टी में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट फ्लेवनोइड्स (एपिकैटेचिन, एपिगैलोटेचिन, एपिकैटेचिन गैलेट) कैंसररोधी (कीमोंप्रिवेंटिव) हो सकते हैं।

अर्थराइटिस (जोड़ो के दर्द) में लाभदायक

अर्थराइटिस से पीड़ित व्यक्ति के जोड़ों में दर्द, कठोरपन और सूजन रहती है, और इस समस्या में ग्रीन टी लाभदायक हो सकती है। NCBI ने चूहों पर ग्रीन टी और ब्लैक टी के प्रभाव का अध्ययन किया तो पाया चाय में एंटी इन्फ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो गठिया के जोखिम को कम करने में मदद कर सकते हैं।

सिरदर्द में लाभदायक

चाय पीने के सिरदर्द में लाभ देखा जा सकता है। दरअसल, चाय में मौजूद कैफीन सिरदर्द के असर को कुछ कम कर सकती है, हालांकि कैफीन सिरदर्द का इलाज नहीं है। एक स्वस्थ व्यक्ति प्रतिदिन अधिकतम 400 मिलीग्राम कैफीन का सेवन कर सकता है। अधिक मात्रा में कैफीन का सेवन सिरदर्द, अनिद्रा और बेचैनी का कारण बन सकता है।

डायबिटीज में लाभदायक

NCBI के शोध के अनुसार चाय डायबिटीज के जोखिम और इससे जुड़ी जटिलताओं को कम करने में मददगार हो सकती है। चाय शरीर में इंसुलिन की सक्रियता को बढ़ावा देती है, जो ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है। तो ऐसा कहा जा सकता है कि चाय का सेवन डायबिटीज के मरीजों के लिए लाभकारी हो सकता है।

जवान रखने में लाभदायक

बढ़ती उम्र के प्रभाव को कम करने में चाय लाभदायक है। NCBI के शोध के अनुसार ग्रीन और व्हाइट टी में पॉलीफेनोल (कैटेचिन) नामक एंटीऑक्सीडेंट्स पाया जाता है, जो कोशिकाओं को डैमेज होने से बचा सकता है। वहीं काली चाय में थिएफ्लेविन होता है। ये तत्व त्वचा पर होने वाली झुर्रियों से बचाव कर सकता है। त्वचा पर बेहतर लाभ के लिए चाय लेप बनाकर त्वचा पर लगाया जा सकता है।

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अधिक चाय पीने के नुकसान

संतुलित मात्रा में ही चाय का सेवन फायदे देता है, चाय का अधिक सेवन निम्नलिखित समस्याओं को बढ़ावा दे सकता है:-

आयरन के अवशोषण को कम करता है- चाय में मौजूद टेनिन नामक यौगिक शरीर में आयरन को अवशोषित करने की क्षमता को कम कर सकता है। इसलिए अकसर भोजन करने के तुरंत बाद चाय पीने मनाही है।

सीने में जलन- चाय में मौजूद कैफीन पेट में गैस्ट्रिक एसिड की मात्रा को बढ़ा सकता है, जिससे सीने में जलन हो सकती है।

गर्भावस्था में- कैफीन का सेवन गर्भपात और शिशु के कम वजन का कारण बन सकता है, इसलिए गर्भवती महिलाओं को चाय कम पीना चाहिए।

अनिद्रा व हृदय रोग का कारण- चाय कुछ हद तक हृदय रोग में लाभकारी हो सकती है, परन्तु इसके अधिक सेवन से ह्रदय रोग और अनिद्रा को बढ़ावा मिलता है।

चिंता व तनाव का कारण- अधिक कैफीन के सेवन से मस्तिष्क संबंधी रोगों को भी बढ़ावा मिलता है। अत्यधिक मात्रा में चाय का सेवन चिंता, तनाव और बेचैनी को बढ़ावा देता है। अधिक कैफीन के सेवन से जी मिचलाने की शिकायत देखी जा सकती है।

चाय उपयोग करने के तरीके

चाय का उपयोग मुख्य रूप से पेय के रूप में ही किया जाता है। चाय पीने के साथ-साथ इसका उपयोग कुछ अन्य तरीको से भी किया जा सकता है:

1. चाय पत्ती को पानी में उबालकर कई तरह की चाय बनाई जाती है। इसमें स्वादानुसार नींबू, इलायची, अदरक और कुछ स्वादिष्ट मसलों का मिश्रण भी मिलाया जा सकता है। अलग अलग तरह की स्वादिष्ट चाय लोग खूब पसंद करते हैं।

2. ग्रीन-टी बालों को स्वस्थ रखने में मदद करता है, इसके लिए ग्रीन-टी का पेस्ट बनाकर बालों की धुलाई भी की जा सकती है।

3. दूध की चाय बनाकर पिया जाता है, इसके लिए दूध, चाय पत्ती और चीनी का इस्तेमाल किया जाता है।

4. सर्दी, खांसी से राहत पाने के लिए अदरक, तुलसी-पत्ती और इलायची की चाय का सेवन लाभकारी हो सकता है।

5. काली मिर्च व दालचीनी की चाय को काढे तौर पर लिया जा सकता है।

6. चाय में मौजूद कैफीन का प्रयोग डार्क सर्कल को दूर करने के उपाय के तौर पर भी किया जा सकता है, इसके लिए उपयोग किए गए टी-बैग को आंखों पर कुछ मिनट के लिए रखा जा सकता है।

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चाय के पौष्टिक तत्व

चाय में पाएं जाने वाले पोषक तत्वों की सम्पूर्ण जानकारी नीचे सारणी में दी जा रही है।

पोषक तत्वमात्रा/100 ग्राम
पानी99.7 g
ऊर्जा1 kcal
कार्बोहाइड्रेट0.3 g
आयरन0.02 mg
मैग्नीशियम3 mg
जिंक0.02 mg
कॉपर0.01 mg
राइबोफ्लेविन0.014 mg
फोलेट टोटल5 µg
फोलेट फूड5 µg
फोलेट डीएफई5 µg
कोलीन0.4 mg
फैटी एसिड टोटल सैचुरेटेड0.002 g
फैटी एसिड टोटल मोनोअनसैचुरेटेड0.001 g
फैटी एसिड टोटल पोलीअनसैचुरेटेड0.004 g
कैफीन20 mg
थियोब्रोमाइन2 mg

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(Disclaimer : इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य जानकारियों पर आधारित हैं। राष्ट्र-बंधु इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन पर अमल करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह अवश्य लें।)

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Ranjeeta
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